उपराष्ट्रपति चुनाव 2025:
भारत में उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 सिर्फ़ संवैधानिक प्रक्रिया भर नहीं रहा, बल्कि इसने आने वाले वर्षों की राजनीति का परिदृश्य भी तय कर दिया। 9 सितंबर 2025 को हुए इस चुनाव ने सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों की ताक़त को साफ़ कर दिया। एनडीए (NDA) के उम्मीदवार सी. पी. राधाकृष्णन ने विपक्षी गठबंधन INDIA ब्लॉक के प्रत्याशी बी. सुदर्शन रेड्डी को हराकर जीत हासिल की। यह मुकाबला बेहद करीबी और हाई-वोल्टेज रहा, और इसी वजह से इसे हाल के दशकों का सबसे अहम चुनाव माना जा रहा है।

क्यों कराना पड़ा उपराष्ट्रपति चुनाव 2025?
जुलाई 2025 में तत्कालीन उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया। संविधान के अनुसार उपराष्ट्रपति का पद खाली नहीं छोड़ा जा सकता, इसलिए चुनाव आयोग ने 7 अगस्त 2025 को अधिसूचना जारी की और 9 सितंबर को मतदान की घोषणा की।
उम्मीदवारों का परिचय
✅ सी. पी. राधाकृष्णन (NDA उम्मीदवार)
तमिलनाडु से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता।
दो बार कोयंबटूर से लोकसभा सांसद।
महाराष्ट्र और झारखंड के राज्यपाल रह चुके।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से गहरे जुड़े, लेकिन सॉफ्ट और गैर-टकराववादी चेहरा।
दक्षिण भारत में भाजपा की पकड़ मज़बूत करने की रणनीति के तहत इन्हें उम्मीदवार बनाया गया।
✅ बी. सुदर्शन रेड्डी (INDIA ब्लॉक उम्मीदवार)
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश।
अल्पसंख्यक अधिकारों और प्रगतिशील फैसलों के लिए जाने जाते हैं।
विपक्षी गठबंधन ने इन्हें “नैतिक लड़ाई” और सत्ता पक्ष को कड़ी चुनौती देने के लिए चुना।
उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 का मतदान और परिणाम
कुल सांसद: 781
मतदान करने वाले सांसद: 767 (98.21%)
वैध वोट: 752
अवैध वोट: 15
नतीजे:
सी. पी. राधाकृष्णन – 452 वोट (≈60.10%)
बी. सुदर्शन रेड्डी – 300 वोट (≈39.90%)
जीत का अंतर – 152 वोट
➡️ राधाकृष्णन को बहुमत मिला और वे भारत के 15वें उपराष्ट्रपति बने।
राजनीतिक महत्व और विश्लेषण
NDA की संसद पर पकड़
452 वोट पाकर एनडीए ने साबित कर दिया कि संसद में उसका मजबूत आधार कायम है।
यह जीत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के लिए बड़ी रणनीतिक सफलता मानी जा रही है।
विपक्ष का उभार
इंडिया ब्लॉक के उम्मीदवार को 300 वोट मिले, जो विपक्ष की एकता का संकेत है।
यह दिखाता है कि विपक्ष अब महज औपचारिक चुनौती नहीं, बल्कि असली टक्कर देने में सक्षम है।
दक्षिण भारत पर फोकस
राधाकृष्णन तमिलनाडु से आते हैं, जहां भाजपा परंपरागत रूप से कमजोर रही है।
उनकी जीत भाजपा की “साउथ स्ट्रैटेजी” को मज़बूती देती है।
करीबी मुकाबला
पिछले दो दशकों में यह सबसे छोटा अंतर रहा।
इससे साफ है कि विपक्ष भी मज़बूत स्थिति में खड़ा है और 2029 के लोकसभा चुनाव तक मुकाबला दिलचस्प रहेगा।
उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 की अहम तारीखें
तारीख | घटना |
---|---|
7 अगस्त 2025 | चुनाव आयोग ने अधिसूचना जारी की |
21 अगस्त 2025 | नामांकन की अंतिम तिथि |
22 अगस्त 2025 | नामांकन की जांच (Scrutiny) |
25 अगस्त 2025 | नाम वापसी की अंतिम तिथि |
9 सितंबर 2025 | मतदान और मतगणना |
उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 का संदेश
यह चुनाव केवल उपराष्ट्रपति चुनने की प्रक्रिया नहीं था, बल्कि संसद में सत्ता पक्ष बनाम विपक्ष की वास्तविक ताक़त का आईना था।
राधाकृष्णन की जीत ने एनडीए को मजबूती दी, लेकिन विपक्ष का वोट शेयर बताता है कि आने वाले समय में मुकाबला बेहद रोचक होने वाला है।
यह चुनाव भारतीय राजनीति के अगले अध्याय की झलक दिखाता है, जिसमें विपक्षी गठबंधन INDIA ब्लॉक बड़ी भूमिका निभा सकता है।
उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 ने भारतीय राजनीति में नई दिशा दी है। एक ओर सी. पी. राधाकृष्णन की जीत भाजपा और एनडीए के आत्मविश्वास को बढ़ाती है, वहीं दूसरी ओर बी. सुदर्शन रेड्डी को मिले वोट विपक्ष की ताक़त का संकेत देते हैं। आने वाले वर्षों में यही संतुलन भारत की लोकतांत्रिक राजनीति को और भी दिलचस्प बनाएगा।