Premanand ji Maharaj kidney story in 2025:
परिचय: कौन हैं प्रेमानंद जी महाराज?
प्रेमानंद जी महाराज भारत के सुप्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु और संतों में से एक हैं। वे वृंदावन (उत्तर प्रदेश) के रमानरेती आश्रम से जुड़े हुए हैं और श्रीकृष्ण भक्ति, साधना तथा सेवा के प्रचार-प्रसार के लिए जाने जाते हैं।
महाराज जी का जीवन एक साधारण मानव के लिए प्रेरणा का स्रोत है — उन्होंने अपने जीवन में अनेक कठिनाइयाँ झेलीं, लेकिन भगवान की भक्ति और आत्मबल से हर विपत्ति को अवसर में बदल दिया।
इसी जीवन यात्रा में सबसे चर्चित प्रसंग है — प्रेमानंद जी महाराज की किडनी की बीमारी और उसका चमत्कारिक उपचार, जिसने लाखों भक्तों के हृदय को भावविभोर कर दिया।
किडनी की बीमारी कैसे हुई?
कई साल पहले की बात है, जब प्रेमानंद जी महाराज अपनी सेवा और प्रवचन यात्रा में बहुत व्यस्त रहते थे। वे दिन-रात साधना और भक्ति में लीन रहते थे।
लगातार कठिन साधना, कम विश्राम और अधिक सेवा कार्यों के कारण उनके शरीर में थकावट और कमजोरी आने लगी।
धीरे-धीरे उनके शरीर में सूजन, थकान और भूख न लगने जैसे लक्षण दिखने लगे।
चिकित्सकों ने जांच की तो पता चला कि महाराज जी की दोनों किडनियाँ ठीक से काम नहीं कर रही थीं।
यह खबर भक्तों के लिए किसी झटके से कम नहीं थी।
भक्तों की चिंता और प्रार्थना
जब यह समाचार फैला, तो हजारों भक्त वृंदावन, मथुरा और देशभर से प्रेमानंद जी महाराज के स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना करने लगे।
आश्रम में रोज़ हवन, संकीर्तन और महामृत्युंजय जाप का आयोजन किया जाने लगा। Premanand ji Maharaj kidney story
महाराज जी ने हमेशा कहा —
“जो भी होता है, प्रभु की इच्छा से होता है। हमें केवल समर्पण भाव रखना चाहिए।”
उनकी यह वाणी भक्तों को और भी दृढ़ विश्वास देती रही कि महाराज जी भगवान के अत्यंत प्रिय भक्त हैं और उन्हें कोई सांसारिक रोग पराजित नहीं कर सकता।
डॉक्टरों की सलाह और उपचार
चिकित्सकों ने सलाह दी कि महाराज जी को नियमित डायलिसिस की आवश्यकता है, क्योंकि दोनों किडनियों की कार्यक्षमता बहुत कम हो गई थी।
कई बड़े अस्पतालों — जैसे दिल्ली AIIMS और मेदांता — में उनका उपचार हुआ।
डॉक्टरों ने यह भी सुझाव दिया कि अगर संभव हो तो किडनी ट्रांसप्लांट करवाना चाहिए।
लेकिन महाराज जी ने हमेशा संयम और शांति से उत्तर दिया —
“मेरा शरीर भगवान का है, जो भी करना है, वही करेंगे।”
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चमत्कार या दिव्य कृपा?(Premanand ji Maharaj kidney story)
कुछ समय तक महाराज जी को नियमित डायलिसिस कराना पड़ा, लेकिन धीरे-धीरे एक अद्भुत परिवर्तन दिखने लगा।
डॉक्टरों के अनुसार, उनके शरीर की स्थिति धीरे-धीरे सुधार की ओर जाने लगी —
जहाँ पहले किडनी का कार्य 15% था, वह बढ़कर लगभग सामान्य स्तर तक पहुँच गया।
यह देखकर चिकित्सक भी अचंभित रह गए।
भक्तों का विश्वास और गहरा हो गया कि यह सब भगवान श्रीकृष्ण की कृपा और महाराज जी की भक्ति का परिणाम है।
महाराज जी का संदेश
प्रेमानंद जी महाराज ने अपने भक्तों से कहा —
“बीमारी शरीर को होती है, आत्मा को नहीं।
हमें ईश्वर में अडिग विश्वास रखना चाहिए।
जीवन में चाहे कितनी भी कठिनाई आए, यदि मन भक्ति में अडिग है तो सब संभव है।”
उन्होंने अपने अनुयायियों को यह सिखाया कि स्वास्थ्य का ध्यान रखना भी उतना ही आवश्यक है जितना कि आध्यात्मिक साधना का पालन।
भक्तों की श्रद्धा और अनुभव
कई भक्तों ने बताया कि महाराज जी के स्वास्थ्य संकट के दौरान उन्होंने जब उनके नाम से “मृत्युंजय मंत्र” का जाप किया, तो उन्हें अपने जीवन में भी सकारात्मक परिवर्तन महसूस हुआ।
कुछ भक्तों का कहना है कि महाराज जी के किडनी रोग से जुड़ा यह प्रसंग “श्रद्धा की परीक्षा” थी — जिसमें वे न केवल विजयी हुए बल्कि करोड़ों लोगों के लिए एक प्रेरणा बन गए।
वर्तमान स्थिति (2025)
साल 2025 तक, प्रेमानंद जी महाराज पूर्णतः स्वस्थ हैं और नियमित रूप से वृंदावन, मथुरा और देश के अन्य हिस्सों में प्रवचन और भक्ति कार्यक्रमों में भाग लेते हैं।
उनकी किडनी अब पहले जैसी समस्या नहीं दे रही, और वे स्वयं अपने स्वास्थ्य का ध्यान अत्यंत अनुशासन के साथ रखते हैं — जैसे समय पर विश्राम, सादा भोजन, और योग-साधना।
प्रेमानंद जी महाराज का प्रेरक वचन
“जीवन में जो कुछ भी घटता है, वह प्रभु की लीला है।
हमें केवल प्रेम, भक्ति और सेवा के मार्ग पर चलना है।”
निष्कर्ष(Premanand ji Maharaj kidney story)
प्रेमानंद जी महाराज की किडनी की यह कहानी केवल एक रोग और उपचार की कथा नहीं, बल्कि श्रद्धा, भक्ति और दिव्यता का जीवंत उदाहरण है।
उन्होंने यह सिद्ध किया कि जब मनुष्य ईश्वर में पूर्ण विश्वास रखता है, तो कोई भी बीमारी, कोई भी संकट उसके मार्ग में बाधा नहीं बन सकता।
महाराज जी की जीवन यात्रा आज भी हर उस व्यक्ति को प्रेरित करती है जो जीवन में आशा, विश्वास और ईश्वर-भक्ति की तलाश में है।