शंघाई सहयोग संगठन (SCO):
शंघाई सहयोग संगठन (SCO) समिट 2025 में तियानजिन (चीन) में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मुलाकात पर पूरी दुनिया की नजरें टिकी हुई थीं। यह मुलाकात न केवल भारत-रूस संबंधों के लिए अहम रही बल्कि वैश्विक राजनीति, ऊर्जा सहयोग
और यूक्रेन युद्ध जैसे मुद्दों पर भी इसका गहरा प्रभाव पड़ा।
भारत-रूस की दोस्ती: कठिन परिस्थितियों में भी मजबूत
प्रधानमंत्री मोदी ने बैठक की शुरुआत में कहा कि “भारत और रूस ने सबसे कठिन परिस्थितियों में भी हमेशा एक-दूसरे का साथ दिया है।” यह बयान इस बात का प्रतीक है कि दोनों देशों के बीच दशकों से चले आ रहे भरोसे और दोस्ती के रिश्ते आज भी उतने ही मजबूत हैं।
भारत और रूस का संबंध केवल रणनीतिक ही नहीं बल्कि भावनात्मक भी है। रक्षा, ऊर्जा, विज्ञान, अंतरिक्ष, शिक्षा और संस्कृति के क्षेत्र में दोनों देशों ने लगातार सहयोग किया है।
SCO समिट 2025 में चर्चा के मुख्य मुद्दे
इस बैठक में कई अहम विषयों पर चर्चा हुई, जिनमें प्रमुख हैं:
यूक्रेन संघर्ष और शांति प्रयास – पीएम मोदी ने कहा कि “मानवता की पुकार है कि युद्ध जल्द समाप्त हो और स्थायी शांति स्थापित हो।” उन्होंने हाल के शांति प्रयासों का स्वागत किया और उम्मीद जताई कि सभी पक्ष रचनात्मक रूप से आगे बढ़ेंगे।
ऊर्जा सहयोग – रूस भारत का बड़ा ऊर्जा साझेदार है। पीएम मोदी ने तेल, गैस और उर्वरक के क्षेत्र में सहयोग को और बढ़ाने पर जोर दिया। यह भारत की ऊर्जा सुरक्षा और किसानों की जरूरतों के लिए अहम है।
व्यापार और निवेश – दोनों नेताओं ने व्यापारिक संबंधों को नई ऊंचाई पर ले जाने की बात कही। भारत और रूस के बीच पिछले कुछ वर्षों में द्विपक्षीय व्यापार में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
संस्कृति और शिक्षा – पीएम मोदी ने युवाओं और शिक्षा के क्षेत्र में आपसी आदान-प्रदान बढ़ाने पर भी जोर दिया।
यूक्रेन युद्ध पर भारत की स्पष्टता
प्रधानमंत्री मोदी ने एक बार फिर साफ किया कि भारत हमेशा शांति और संवाद का समर्थन करता है। उन्होंने कहा कि यह समय युद्ध का नहीं, बल्कि शांति और कूटनीति का है। यह बयान दुनिया के लिए एक बड़ा संदेश है क्योंकि भारत जैसे लोकतांत्रिक और वैश्विक महत्व वाले देश की राय को अंतरराष्ट्रीय समुदाय गंभीरता से लेता है।
आने वाले समय में भारत-रूस संबंध
इस मुलाकात के दौरान यह भी चर्चा हुई कि दिसंबर 2025 में राष्ट्रपति पुतिन भारत की यात्रा पर आ सकते हैं। उस दौरान भारत और रूस का 23वां वार्षिक शिखर सम्मेलन होगा, जिसमें कई अहम समझौतों की उम्मीद है।
दोनों नेताओं ने यह भी दोहराया कि भारत-रूस की विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी आने वाले समय में और मजबूत होगी।
वैश्विक राजनीति में संदेश
पीएम मोदी और राष्ट्रपति पुतिन की मुलाकात का संदेश यह भी है कि भारत अपनी स्वतंत्र विदेश नीति पर कायम है। अमेरिका और पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए दबाव के बावजूद भारत ने रूस के साथ अपने रिश्तों को संतुलित रखा है। इससे यह स्पष्ट होता है कि भारत वैश्विक राजनीति में अपनी अलग और स्वायत्त पहचान बनाए रखना चाहता है।
निष्कर्ष
पीएम मोदी और राष्ट्रपति पुतिन की यह मुलाकात भारत-रूस संबंधों को नई ऊर्जा देने वाली साबित हुई। जहां एक ओर दोनों देशों ने व्यापार, ऊर्जा और रक्षा सहयोग को और गहरा करने की दिशा में कदम बढ़ाए, वहीं दूसरी ओर यूक्रेन युद्ध पर शांति का संदेश देकर वैश्विक राजनीति में भारत ने अपनी जिम्मेदार भूमिका को दोहराया।
भारत और रूस की दोस्ती केवल दो देशों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरी दुनिया के लिए शांति, स्थिरता और विकास का प्रतीक बन चुकी है। आने वाले समय में यह संबंध और मजबूत होंगे, इसमें कोई संदेह नहीं है।
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