Navratri Day 4 2025 : मां कूष्मांडा पूजा, मंत्र, व्रत और शुभ रंग….

Kushmanda

Navratri Day 4 2025– 25 सितंबर 2025

नवरात्रि भारत में दुर्गा माँ के नौ रूपों की उपासना का पर्व है। यह पर्व शारदीय नवरात्रि के रूप में मनाया जाता है। नवरात्रि का चौथा दिन(Navratri Day 4 2025) 25 सितंबर 2025 को पड़ रहा है, जिसे गुरुवार का दिन है।

इस दिन की आराध्य देवी मां कूष्मांडा हैं। मां कूष्मांडा को ब्रह्मांड की रचयिता माना जाता है, जिन्होंने अपनी मुस्कान से सृष्टि की रचना की। देवी अंधकार को दूर करके जीवन में उजाला और सकारात्मक ऊर्जा लाती हैं।

Navratri-Day-4-2025
Navratri Day 4 2025

मां कूष्मांडा का महत्व(Navratri Day 4 2025):

मां कूष्मांडा नौ दिव्य शक्तियों में से एक हैं और उन्हें सृष्टि की जननी कहा जाता है। उनके नाम का अर्थ है:

  • कूष्मा = ब्रह्मांड का अंश

  • अंडा = सृष्टि का प्रारंभ

मां कूष्मांडा की उपासना करने से जीवन में शक्ति, स्वास्थ्य, बुद्धि और समृद्धि आती है।

चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा के लाभ:

  1. मानसिक और शारीरिक ऊर्जा बढ़ती है।

  2. सभी नकारात्मक शक्तियों और बाधाओं का नाश होता है।

  3. स्वास्थ्य, समृद्धि और खुशहाली आती है।

  4. घर में सुख-शांति और सौभाग्य का वास होता है।

चौथे दिन का रंग – पीला

नवरात्रि के प्रत्येक दिन का अलग रंग होता है। चौथे दिन का शुभ रंग पीला है।

  • पीला रंग सकारात्मक ऊर्जा, बुद्धि, प्रकाश और खुशहाली का प्रतीक है।

  • इस दिन पीले रंग के वस्त्र पहनने से देवी के आशीर्वाद प्राप्त होते हैं।

  • पूजा स्थल को पीले फूलों और वस्त्रों से सजाना शुभ माना जाता है।

 

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पूजा की तैयारी और सामग्री:(Navratri Day 4 2025):

चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा करने के लिए निम्न सामग्री आवश्यक है:

  • पीले फूल (गेंदे या कमल)

  • कद्दू

  • तिल

  • नारियल

  • हल्दी और अक्षत (चावल)

  • दीपक और अगरबत्ती

  • पीला वस्त्र पहनें

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पूजा विधि:

चौथे दिन की पूजा का क्रम:

  1. स्थान की शुद्धि: पूजा स्थल को साफ करें और कलश स्थापित करें।

  2. कलश स्थापना:

    • मिट्टी या तांबे के कलश में पानी डालें।

    • हल्दी, चावल, तिल और फूल डालें।

    • कलश के ऊपर नारियल रखें और पीले वस्त्र से ढक दें।

  3. दीप और अगरबत्ती: कलश और देवी के चित्र/मूर्ति के सामने दीपक और अगरबत्ती जलाएं।

  4. मंत्र जप:

    • मुख्य मंत्र:

      ॐ देवी कूष्माण्डायै नमः
    • इसे 108 बार जपना शुभ माना जाता है।

  5. भोग अर्पित करें: कद्दू, तिल और पीले फूल देवी को अर्पित करें।

  6. आरती: मां कूष्मांडा की आरती करें और प्रसाद वितरित करें।

व्रत नियम:

चौथे दिन व्रती निम्न नियमों का पालन करते हैं:

  • भिक्षा, मदिरा और अनैतिक कर्म से परहेज करें।

  • पीले या हल्के रंग के वस्त्र पहनें।

  • व्रत का भोग मुख्यतः फल, दूध, हलवा और तिल से करें।

  • व्रत का उद्देश्य केवल स्वास्थ्य और समृद्धि प्राप्त करना नहीं, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक शक्ति भी बढ़ाना है।

नवरात्रि 2025 का पूरा कैलेंडर:

दिनतिथिदेवी का रूपरंग
122 सितंबरमां शैलपुत्रीसफेद
223 सितंबरमां ब्रह्मचारिणीलाल
324 सितंबरमां चंद्रघंटारॉयल ब्लू
425 सितंबरमां कूष्मांडापीला
526 सितंबरमां स्कंदमाताहरा
627 सितंबरमां कात्यायनीग्रे
728 सितंबरमां कालरात्रिनारंगी
829 सितंबरमां महागौरीमोरपंखी हरा
930 सितंबरमां सिद्धिदात्रीगुलाबी

 आरती:

कूष्मांडा जय जग सुखदानी।
मुझ पर दया करो महारानी॥

पिगंला ज्वालामुखी निराली।
शाकंबरी माँ भोली भाली॥

लाखों नाम निराले तेरे ।
भक्त कई मतवाले तेरे॥

भीमा पर्वत पर है डेरा।
स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥

सबकी सुनती हो जगदंबे।
सुख पहुँचती हो माँ अंबे॥

तेरे दर्शन का मैं प्यासा।
पूर्ण कर दो मेरी आशा॥

माँ के मन में ममता भारी।
क्यों ना सुनेगी अरज हमारी॥

तेरे दर पर किया है डेरा।
दूर करो माँ संकट मेरा॥

मेरे कारज पूरे कर दो।
मेरे तुम भंडारे भर दो॥

तेरा दास तुझे ही ध्याए।
भक्त तेरे दर शीश झुकाए॥


मां कूष्मांडा की आरती घर में दीपक जलाकर और भक्ति भाव से गाई जाती है। आरती के बाद प्रसाद वितरित करना शुभ माना जाता है।

चौथे दिन के लिए टिप्स

  1. सुबह जल्दी उठकर स्नान करके पूजा स्थल तैयार करें।

  2. पीले रंग के फूल और वस्त्र का प्रयोग करें।

  3. पूरे दिन सकारात्मक सोच और भक्ति भाव बनाए रखें।

  4. मां कूष्मांडा की कथा और महत्व को पढ़ें और सुनें।

  5. व्रत के बाद परिवार के साथ प्रसाद का वितरण करें।

निष्कर्ष

नवरात्रि का चौथा दिन मां कूष्मांडा की आराधना का दिन है। उनके आशीर्वाद से जीवन में स्वास्थ्य, शक्ति, समृद्धि और सुख-शांति आती है। 25 सितंबर 2025 को पूजा, व्रत, रंग और मंत्र का सही पालन कर आप मां के आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।

FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

Q1: चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा कब करनी चाहिए?
A: सुबह जल्दी उठकर सूर्योदय से पूर्व पूजा करना शुभ होता है।

Q2: कौन सा रंग पहनना शुभ होता है?
A: पीला रंग शुभ माना जाता है।

Q3: मंत्र का जाप कितनी बार करना चाहिए?
A: 108 बार जाप करना श्रेष्ठ माना जाता है।

Q4: व्रत में क्या खाना चाहिए और क्या परहेज करें?
A: फल, दूध, हलवा और तिल का भोग करें। अनावश्यक तैलीय और मांसाहारी भोजन से परहेज करें।

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