Mahalakshmi Vrat Katha 2025:
हिन्दू धर्म में महालक्ष्मी व्रत का विशेष महत्व माना जाता है। यह व्रत हर वर्ष भाद्रपद शुक्ल अष्टमी से आश्विन कृष्ण अष्टमी तक (लगभग 16 दिन) तक चलता है। इस व्रत को करने से माता लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है और घर-परिवार में धन, धान्य, सौभाग्य और सुख-समृद्धि का वास होता है।
इस व्रत को मुख्य रूप से महिलाएं और सुहागिन स्त्रियां करती हैं, लेकिन पुरुष भी इसे कर सकते हैं। मान्यता है कि यह व्रत करने से दरिद्रता दूर होती है और जीवन में सुख-शांति आती है।

महालक्ष्मी व्रत की कथा (Maha Lakshmi Vrat Katha 2025)
पुराणों के अनुसार, एक समय की बात है। एक ब्राह्मणी महिला जिसका नाम सावित्री था, वह अत्यंत पतिव्रता और धर्मपरायण थी। उसके पति की अकाल मृत्यु हो गई। सावित्री अपने पति के शव के पीछे-पीछे रोते हुए यमराज तक पहुँच गई।
सावित्री ने यमराज से प्रार्थना की –
“हे धर्मराज! मेरे पति को जीवित कर दीजिए, इनके बिना मेरा जीवन अधूरा है।”
यमराज ने कहा –
“हे सावित्री! मृत्यु अटल है। किसी को पुनः जीवन देना मेरे लिए संभव नहीं।”
लेकिन सावित्री अपने सत्य, दृढ़ निश्चय और पतिव्रता धर्म के बल पर लगातार यमराज की स्तुति करती रही। अंततः यमराज उसकी भक्ति और निष्ठा से प्रसन्न हुए और उसके पति को पुनः जीवन प्रदान किया।
उसी समय माता महालक्ष्मी प्रकट हुईं और उन्होंने कहा –
“हे पुत्री! तुम्हारी श्रद्धा और व्रत की शक्ति से तुम्हारा परिवार सदा सुख-समृद्ध रहेगा। यह व्रत अब ‘महालक्ष्मी व्रत’ कहलाएगा। जो भी स्त्री इस व्रत को विधि-विधान से करेगी, उसके घर से दरिद्रता दूर होगी और कभी धन-धान्य की कमी नहीं रहेगी।”
🌼 महालक्ष्मी व्रत की पूजा विधि (Mahalakshmi Vrat Katha )
आवश्यक सामग्री
महालक्ष्मी की मूर्ति या चित्र
लाल कपड़ा
कलश (पानी, सुपारी, आम के पत्ते, नारियल)
अक्षत (चावल)
दीपक, घी/तेल
रोली, हल्दी, सिंदूर
पंचामृत (दूध, दही, शहद, घी और शक्कर)
फल, फूल, मिठाई और सुहाग सामग्री
पूजा विधि चरणबद्ध
प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें और व्रत का संकल्प लें।
पूजा स्थान पर लाल कपड़ा बिछाकर माँ महालक्ष्मी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
कलश स्थापना करें और उस पर नारियल रखें।
दीप जलाकर “ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः” मंत्र का जाप करें।
माँ लक्ष्मी को लाल फूल, सिंदूर, हल्दी और अक्षत अर्पित करें।
सुहाग सामग्री (चूड़ी, बिंदी, मेहंदी, साड़ी आदि) चढ़ाएं।
महालक्ष्मी व्रत कथा का पाठ करें।
अंत में आरती करें और परिवार के सभी लोगों को प्रसाद बांटें।
महालक्ष्मी व्रत का महत्व (Mahalakshmi Vrat Importance)
धन-धान्य की प्राप्ति: इस व्रत से घर में कभी दरिद्रता नहीं आती।
सौभाग्य और वैवाहिक सुख: विवाहित स्त्रियां इस व्रत से अखंड सौभाग्य प्राप्त करती हैं।
समृद्धि और खुशहाली: परिवार में प्रेम, एकता और खुशहाली बनी रहती है।
आरोग्य और दीर्घायु: इस व्रत से स्वास्थ्य अच्छा रहता है और आयु लंबी होती है।
आध्यात्मिक लाभ: व्रत और कथा के श्रवण से पापों का क्षय होता है।
महालक्ष्मी मंत्र (Mahalakshmi Mantra)
पूजन के समय इस मंत्र का जाप करना अत्यंत फलदायी माना जाता है:
“ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः।”
महालक्ष्मी व्रत 2025 तिथि(Mahalakshmi Vrat Katha 2025):
प्रारंभ तिथि: भाद्रपद शुक्ल अष्टमी
समापन तिथि: आश्विन कृष्ण अष्टमी
(तिथियां वर्ष अनुसार बदलती हैं, इसलिए पंचांग अवश्य देखें।)
निष्कर्ष :
महालक्ष्मी व्रत केवल एक धार्मिक अनुष्ठान ही नहीं बल्कि भक्ति, श्रद्धा और परिवार की समृद्धि का प्रतीक है। यह व्रत करने से माता लक्ष्मी की कृपा सदैव बनी रहती है और जीवन में सुख-समृद्धि, धन और सौभाग्य की वृद्धि होती है।