H-1B visa news 2025:
H-1B visa अमेरिका का सबसे लोकप्रिय वर्क वीज़ा है, जिसकी मदद से लाखों विदेशी नागरिक हर साल अमेरिका में नौकरी पाते हैं। खासतौर पर भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स और इंजीनियर्स के लिए यह वीज़ा करियर बनाने का सबसे बड़ा जरिया है। लेकिन सितंबर 2025 में अमेरिका ने इस वीज़ा को लेकर एक बड़ा और विवादित फैसला लिया है।
अब H-1B वीज़ा के लिए आवेदन शुल्क 100,000 अमेरिकी डॉलर (लगभग 83 लाख रुपये) कर दिया गया है। यह फैसला भारतीय आईटी कंपनियों और प्रोफेशनल्स के लिए किसी झटके से कम नहीं है। आइए विस्तार से समझते हैं कि नया नियम क्या है, इसका असर किन पर होगा और भारतीय युवाओं के लिए आगे के विकल्प क्या हो सकते हैं।

नया नियम क्या है?(H-1B visa news 2025):
21 सितंबर 2025 से लागू हुए इस नए नियम के अनुसार:
H-1B वीज़ा के आवेदन शुल्क में भारी बढ़ोतरी की गई है।
अब किसी भी नए आवेदन के लिए $100,000 (लगभग 83 लाख रुपये) देने होंगे।
यह शुल्क सिर्फ नए आवेदकों और विदेश से अमेरिका जाने वाले प्रोफेशनल्स पर लागू होगा।
जो लोग पहले से अमेरिका में H-1B वीज़ा पर काम कर रहे हैं, उन पर इसका तात्कालिक असर नहीं होगा।
भारत और भारतीय आईटी सेक्टर पर असर
भारत H-1B वीज़ा का सबसे बड़ा लाभार्थी देश है। हर साल हजारों भारतीय आईटी कंपनियां और छात्र इस वीज़ा के जरिए अमेरिका में नौकरी पाते हैं। लेकिन इस भारी शुल्क ने भारतीयों के लिए बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है।
यह भी पढ़े : Samsung Galaxy S24 Ultra Price in India 2025: कीमत, फीचर्स, वेरिएंट और ऑफर्स….
1. आईटी कंपनियों पर असर
इंफोसिस, टीसीएस, विप्रो, एचसीएल जैसी कंपनियां हर साल हजारों कर्मचारियों को अमेरिका भेजती हैं।
अब इतने बड़े शुल्क की वजह से ये कंपनियां अमेरिका भेजने से पहले सोच-समझकर कदम उठाएँगी।
कई कंपनियां लोकल (अमेरिकी) कर्मचारियों की भर्ती पर ज्यादा ध्यान देंगी।
2. भारतीय युवाओं पर असर
लाखों भारतीय छात्र अमेरिका में पढ़ाई के बाद H-1B वीज़ा पाने की उम्मीद रखते हैं।
इतने भारी शुल्क की वजह से अब यह सपना कई युवाओं के लिए अधूरा रह सकता है।
विशेषकर मिडिल क्लास स्टूडेंट्स और छोटे स्टार्टअप्स के लिए यह बेहद मुश्किल होगा।
3. ब्रेन ड्रेन पर असर
अब कई टैलेंटेड भारतीय अमेरिका जाने की बजाय भारत, यूरोप, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे विकल्पों पर ध्यान देंगे।
इसका फायदा भारत को भी मिल सकता है क्योंकि टैलेंट देश में ही रहेगा।
कंपनियों की नई रणनीति(H-1B visa news 2025):
अमेरिका के नए नियमों के बाद भारतीय कंपनियां अपनी रणनीति बदल सकती हैं।
ऑफशोर वर्क → कंपनियां भारत से ही प्रोजेक्ट्स मैनेज करेंगी।
लोकल हायरिंग → अमेरिकी कंपनियां वहीं के लोगों को ज्यादा भर्ती करेंगी।
कॉस्ट कटिंग → बड़े आईटी प्रोजेक्ट्स को भारत, फिलीपींस और अन्य देशों से चलाने की कोशिश होगी।
स्टार्टअप्स पर खतरा → छोटे स्टार्टअप्स के लिए इतने बड़े शुल्क को देना संभव नहीं होगा, जिससे उनका ग्लोबल एक्सपेंशन रुक सकता है।
विरोध और आलोचना
इस फैसले का दुनिया भर में विरोध हो रहा है।
नैसकॉम (NASSCOM) ने कहा कि यह निर्णय जल्दबाजी और अनुचित है।
भारतीय आईटी इंडस्ट्री का मानना है कि इससे अमेरिका की इनोवेशन क्षमता पर भी असर पड़ेगा।
अमेरिकी टेक कंपनियों के विशेषज्ञों का कहना है कि इससे प्रतिभा की कमी हो जाएगी।
कई एनालिस्ट मानते हैं कि यह कदम अमेरिका की आर्थिक प्रतिस्पर्धा को भी कमजोर कर सकता है।
भविष्य की संभावनाएँ
आगे के दिनों में कई बदलाव देखने को मिल सकते हैं:
भारत-अमेरिका बातचीत
संभव है कि भारत सरकार इस मुद्दे पर अमेरिका से बातचीत करे।
इंडस्ट्री बॉडीज़ दबाव डाल सकती हैं कि शुल्क कम किया जाए।
नए विकल्प
भारतीय प्रोफेशनल्स कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी और यूरोप जैसे देशों की ओर रुख कर सकते हैं।
ये देश विदेशी टैलेंट को आकर्षित करने के लिए ज्यादा बेहतर अवसर दे रहे हैं।
भारत को फायदा
अगर टैलेंट भारत में ही रुकता है, तो भारतीय आईटी इंडस्ट्री और स्टार्टअप इकोसिस्टम को मजबूती मिल सकती है।
निष्कर्ष(H-1B visa news 2025):
H-1B वीज़ा हमेशा भारतीय प्रोफेशनल्स के लिए सपनों का टिकट रहा है। लेकिन 2025 में हुए इस बड़े बदलाव ने इसे सिर्फ अमीर कॉरपोरेट्स और बड़ी कंपनियों तक सीमित कर दिया है।
भारतीय युवाओं और आईटी कंपनियों के सामने अब नई चुनौतियाँ खड़ी हैं। हालांकि, यह भारत के लिए भी एक अवसर है कि वह अपने टैलेंट को देश में रोके और आईटी सेक्टर को और मजबूत बनाए।
भविष्य में देखना होगा कि अमेरिका इस नीति को लेकर कितना सख्त रहता है और भारत अपने युवाओं के लिए कौन-कौन से नए रास्ते खोलता है।