Gen Z आंदोलन नेपाल 2025:नेपाल की सियासत में भूचाल, क्या कुलमान घिसिंग बनेंगे अंतरिम प्रधानमंत्री? जानिए पूरी कहानी…

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Gen Z आंदोलन नेपाल:

नेपाल प्रधानमंत्री अपडेट: कुलमान घिसिंग:

नेपाल की राजनीति एक बार फिर उथल-पुथल के दौर से गुजर रही है। प्रधानमंत्री के इस्तीफे के बाद देश में अंतरिम सरकार बनाने की चर्चा तेज हो गई है। इसी बीच सबसे ज्यादा सुर्खियाँ बटोर रहे हैं एक ऐसा नाम, जो पारंपरिक राजनीति से जुड़ा नहीं है लेकिन जनता के दिलों में खास जगह बना चुका है — कुलमान घिसिंग । Gen Z आंदोलन नेपाल

कुलमान घिसिंग को लोग “बिजली संकट खत्म करने वाले मसीहा” के रूप में जानते हैं। अब सवाल यह है कि क्या वे सचमुच नेपाल के अंतरिम प्रधानमंत्री बन सकते हैं? आइए विस्तार से समझते हैं।

कुलमान घिसिंग
कुलमान घिसिंग

कुलमान घिसिंग कौन हैं?(Gen Z आंदोलन नेपाल)

  • घिसिंग नेपाल विद्युत प्राधिकरण (Nepal Electricity Authority – NEA) के पूर्व प्रबंध निदेशक रहे हैं।

  • नेपाल में सालों तक बिजली कटौती (load-shedding) की समस्या ने आम जनता को परेशान किया। दिन के 16-18 घंटे तक बिजली गायब रहती थी।

  • लेकिन कुलमान घिसिंग ने अपने कार्यकाल में इस गंभीर संकट को खत्म कर दिखाया।

  • वे किसी राजनीतिक दल से नहीं जुड़े हैं, बल्कि टेक्नोक्रेट और प्रशासक के रूप में अपनी पहचान बना चुके हैं।

उनकी ईमानदारी, पारदर्शिता और काम करने की क्षमता ने उन्हें जनता के बीच एक “भरोसेमंद नेता” बना दिया है।

क्यों छाए हैं कुलमान घिसिंग प्रधानमंत्री की दौड़ में?

  1. जनता की भारी मांग
    नेपाल का Gen Z आंदोलन भ्रष्ट राजनीति और अक्षमता के खिलाफ खड़ा है। युवा ऐसे चेहरे को देखना चाहते हैं जो पारदर्शी और परिणाम देने वाला हो।
    कुलमान घिसिंग की छवि बिल्कुल ऐसी ही है।

  2. गैर-राजनीतिक विकल्प
    जनता अब पारंपरिक राजनीतिक दलों से थक चुकी है। घिसिंग जैसे गैर-राजनीतिक व्यक्ति को लोग “साफ और नया विकल्प” मान रहे हैं।

  3. काम करने की क्षमता का प्रमाण
    बिजली संकट को खत्म करने का उनका रिकॉर्ड इस बात का सबूत है कि वे मुश्किल चुनौतियों का हल निकाल सकते हैं।

  4. राजनीतिक अस्थिरता का दौर
    मौजूदा दलों के बीच सहमति बनना मुश्किल है। ऐसे में एक “सर्वमान्य” गैर-दलीय चेहरा ही देश को अंतरिम रूप से संभाल सकता है।

 नेपाल का संविधान क्या कहता है?

नेपाल के संविधान के अनुसार:

  • जब प्रधानमंत्री इस्तीफा दे देते हैं और कोई भी दल संसद में बहुमत साबित नहीं कर पाता, तब राष्ट्रपति अंतरिम सरकार बनाने की पहल कर सकते हैं।

  • अंतरिम प्रधानमंत्री कोई सांसद या राजनीतिक दल का नेता ही होना ज़रूरी नहीं है।

  • राष्ट्रपति जनता की मांग और राजनीतिक दलों की सिफारिशों को देखते हुए गैर-राजनीतिक व्यक्तियों को भी अंतरिम प्रधानमंत्री नियुक्त कर सकते हैं।

इसका मतलब है कि संवैधानिक रूप से कुलमान घिसिंग का प्रधानमंत्री बनना पूरी तरह संभव है।

Gen Z आंदोलन नेपाल
Gen Z आंदोलन नेपाल

 विशेषज्ञों की राय

  • संवैधानिक विशेषज्ञ मानते हैं कि राजनीतिक दल पहले अपने नेताओं के बीच सहमति बनाने की कोशिश करेंगे।

  • अगर यह संभव नहीं हुआ तो ही कोई “गैर-राजनीतिक चेहरा” सामने आएगा।

  • कई राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि घिसिंग की लोकप्रियता इतनी अधिक है कि पार्टियों पर जनता का दबाव पड़ सकता है।

  • वहीं कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि पारंपरिक दल घिसिंग को स्वीकार करने से हिचकिचाएँगे, क्योंकि इससे उनकी नाकामी उजागर होगी।

 कौन-सी चुनौतियाँ हैं घिसिंग के सामने? Gen Z आंदोलन नेपाल के बाद :

  1. राजनीतिक दलों की सहमति
    बिना पार्टियों की मंजूरी, घिसिंग का नाम आगे नहीं बढ़ पाएगा।

  2. अनुभव पर सवाल
    विरोधी यह तर्क दे सकते हैं कि घिसिंग राजनीति और कूटनीति का अनुभव नहीं रखते।

  3. अन्य उम्मीदवारों की मौजूदगी

    • पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुषिला कार्की

    • काठमांडू के मेयर बालेन्द्र शाह
      जैसे नाम भी प्रधानमंत्री पद की दौड़ में चर्चा में हैं।

 जनता की नज़र में कुलमान घिसिंग

नेपाल में युवा और आम नागरिक कुलमान घिसिंग को एक “आशा की किरण” मान रहे हैं।

  • सोशल मीडिया पर उनके पक्ष में बड़ी संख्या में कैंपेन चल रहे हैं।

  • छात्र संगठन और पेशेवर समुदाय भी उनके नाम का समर्थन कर रहे हैं।

  • उन्हें एक ऐसे “गैर-भ्रष्ट और निष्पक्ष” चेहरे के रूप में देखा जा रहा है, जो सिर्फ जनता के हित में काम करेगा।

 क्या सचमुच घिसिंग बनेंगे प्रधानमंत्री?

  • संभावना बहुत मजबूत है, क्योंकि जनता का दबाव और उनकी लोकप्रियता बेहद ज्यादा है।

  • लेकिन अभी निश्चित नहीं है, क्योंकि अंतिम फैसला राजनीतिक दलों और राष्ट्रपति के हाथ में है।

  • अगर आंदोलन और दबाव और बढ़ता है, तो पार्टियाँ मजबूरन किसी ऐसे व्यक्ति को ही चुन सकती हैं, जिस पर जनता का भरोसा है।

नेपाल की राजनीति में इस समय एक ऐतिहासिक मोड़ आया है। प्रधानमंत्री के इस्तीफे के बाद जनता अब नए नेतृत्व की मांग कर रही है।
कुलमान घिसिंग एक ऐसे नेता के रूप में उभर रहे हैं, जिनके पास न केवल जनता का विश्वास है बल्कि देश को संकट से बाहर निकालने का प्रमाणित अनुभव भी है।

हालाँकि, उनके प्रधानमंत्री बनने का रास्ता आसान नहीं है। राजनीतिक दलों की खींचतान, संवैधानिक प्रक्रियाएँ और अन्य दावेदारों की मौजूदगी उनकी राह मुश्किल बना सकती है।

फिर भी, एक बात साफ है — अगर नेपाल की जनता की आवाज़ सुनी जाती है, तो कुलमान घिसिंग का नाम अंतरिम प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुँचने से कोई नहीं रोक पाएगा।

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