मशहूर अभिनेता Pankaj Dheer का 15 अक्टूबर 2025 को मुंबई में 68 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। उन्होंने बीआर चोपड़ा की “महाभारत” में कर्ण की भूमिका निभाकर जो लोकप्रियता पाई थी, वही आज भी लोगों के दिलों में ज़िंदा है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, पंकज धीर पिछले कई महीनों से कैंसर से जूझ रहे थे और हाल ही में उनकी तबीयत फिर बिगड़ गई थी। उपचार के बावजूद वे बीमारी से उबर नहीं सके और आज सुबह 11:30 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली ।jagran+5
उनकी मृत्यु की पुष्टि उनके दोस्त और अभिनेता अमित बहल ने की, जो CINTAA (Cine & TV Artistes’ Association) के भी सदस्य हैं । CINTAA ने आधिकारिक बयान जारी करते हुए उनके निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है और बताया कि उनका अंतिम संस्कार मुंबई के विले पार्ले (पवनहंस) श्मशान घाट पर शाम 4:30 बजे किया गया ।hindustantimes+5
फिल्म और टीवी जगत में शोक की लहर फैल गई है। कई नामी कलाकार — जैसे सलमान खान, सिद्धार्थ मल्होत्रा, फिरोज़ खान और उनके बेटे निकीतन धीर — अंतिम विदाई में शामिल हुए ।ndtv+1
उनकी याद में अभिनेता फिरोज़ खान ने कहा, “वह सिर्फ़ एक सह-कलाकार नहीं, बल्कि एक सच्चे दोस्त और महान इंसान थे। ‘कर्ण’ हमेशा जीवित रहेंगे।”ndtv
Pankaj Dheer के योगदान को याद करते हुए मनोरंजन जगत ने उन्हें अंतिम श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि “वे अपने संवादों और अभिनय से जो करुणा और वीरता दिखाते थे, वह भारतीय टेलीविज़न इतिहास में अमर रहेगी।”navbharattimes.indiatimes+2
पंकज धीर: अभिनय की दृढ़ पहचान
भारतीय टेलीविज़न और सिनेमा की दुनिया में कुछ नाम ऐसे हैं जिन्होंने अपने अभिनय से अमिट छाप छोड़ी है। उनमें से एक नाम है Pankaj Dheer — एक ऐसे अभिनेता जिन्होंने 80 के दशक से लेकर आज तक न सिर्फ़ अभिनय में बल्कि निर्देशन और सामाजिक कार्यों में भी अपनी खास पहचान बनाई है। अपने गंभीर व्यक्तित्व, दमदार आवाज़ और सशक्त अभिनय शैली की वजह से पंकज धीर ने भारतीय दर्शकों के दिलों में एक स्थायी स्थान बनाया है।
प्रारंभिक जीवन और पृष्ठभूमि
पंकज धीर का जन्म 9 नवंबर 1959 को हुआ था। उनका परिवार फिल्म जगत से जुड़ा हुआ था — उनके पिता सी.एल. धीर बॉलीवुड के जाने-माने फिल्म निर्माता और निर्देशक थे। इस पारिवारिक माहौल ने पंकज को बचपन से ही मनोरंजन जगत की ओर आकर्षित किया। उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई मुंबई में की और बाद में फिल्म और थिएटर के प्रति अपने जुनून को पेशे के रूप में अपनाने का निर्णय लिया।
शुरुआती दिनों में पंकज धीर को फिल्मों में स्थापित होना आसान नहीं था। उन्हें कई छोटे-मोटे रोल करने पड़े, लेकिन उनके धैर्य और मेहनत ने धीरे-धीरे उन्हें वह पहचान दिलाई, जिसका हर कलाकार सपना देखता है।
फिल्मी करियर की शुरुआत
पंकज धीर ने 1983 में निर्देशक राज नरसिम्हा की फिल्म “सूर्या” से फिल्मी दुनिया में कदम रखा। हालांकि शुरुआती दौर में उन्हें बहुत बड़े रोल नहीं मिले, लेकिन उनका अभिनय हमेशा ध्यान खींचने वाला था। उन्होंने कई फिल्मों में पुलिस ऑफिसर, सेना के जवान और खलनायक जैसे किरदार निभाए, जिनमें उनकी दमदार स्क्रीन प्रेजेंस साफ़ झलकती थी।
फिल्मों के अलावा टेलीविज़न ने उन्हें वह मंच दिया, जहाँ से वे घर-घर में पहचाने जाने लगे। उनका करियर का सबसे अहम मोड़ आया 1988 में, जब उन्हें बी.आर. चोपड़ा के मशहूर धारावाहिक “महाभारत” में कर्ण की भूमिका निभाने का मौका मिला।
महाभारत में कर्ण की भूमिका – करियर का टर्निंग पॉइंट
Pankaj Dheer
“महाभारत” में कर्ण का किरदार भारतीय टेलीविज़न इतिहास के सबसे प्रतिष्ठित पात्रों में गिना जाता है। इस भूमिका को पंकज धीर ने जिस गंभीरता और गहराई से निभाया, उसने दर्शकों के मन में उनके लिए अत्यधिक सम्मान और भावनात्मक जुड़ाव पैदा किया। कर्ण एक जटिल किरदार था — एक योद्धा, एक दानवीर और भाग्य से उत्पन्न संघर्षों में उलझा इंसान। पंकज धीर ने इस किरदार के हर पहलू को इतनी शालीनता और मजबूती से निभाया कि आज भी लोग उन्हें “कर्ण” के रूप में ही पहचानते हैं।
उनका डायलॉग डिलीवरी, संवादों में निहित भावनाएँ, और उस दौर के सीमित संसाधनों में भी चरित्र की जीवंतता लाना — यही उनकी प्रतिभा का असली प्रमाण था। “महाभारत” ने उन्हें अमरता दी और वे टेलीविज़न इतिहास में अमर हो गए।
अन्य प्रसिद्ध टेलीविज़न कार्य
कर्ण के बाद, Pankaj Dheer ने कई लोकप्रिय टीवी सीरियल्स में काम किया जिनमें “कर्म”, “कानोनी केस”, “विष्णु पुराण”, “सांप सीढ़ी”, “योद्धा”, “बहादुर शाह ज़फर” और “कितनी मोहब्बत है” जैसे शोज़ शामिल हैं। हर किरदार में उन्होंने अलग-अलग भावनात्मक और नाटकीय रंग भरे।
2000 के दशक में भी उन्होंने टीवी पर सक्रिय रहकर युवा दर्शकों के बीच लोकप्रियता बनाए रखी। उनका “प्रिथ्वीराज चौहान” और “चंद्रकांता” जैसे ऐतिहासिक सीरियल्स में अभिनय उल्लेखनीय रहा।
उनके अभिनय में एक शालीनता और गंभीरता होती है जो उन्हें बाकी कलाकारों से अलग बनाती है। वे कभी ओवरएक्ट नहीं करते — बल्कि संवादों को अपने भावों के माध्यम से ज्यादा प्रभावशाली बनाते हैं।
फिल्मी दुनिया में योगदान
टीवी के अलावा, पंकज धीर ने बॉलीवुड में भी अहम योगदान दिया। उन्होंने “बॉर्डर”, “सोल्जर”, “संकल्प”, “नि:शब्द”, “ताल”, “सन ऑफ़ सरदार”, “करीब करीब सिंगल”, और कई अन्य फिल्मों में काम किया। वे आमतौर पर सशक्त सहायक किरदार निभाते रहे, लेकिन हर बार उनकी उपस्थिति फिल्म की कहानी में गहराई और आकर्षण जोड़ती थी।
उनके अभिनय की विशेषता थी – गहरी आवाज़, तीव्र निगाहें, और संवादों में ठहराव। इन तीनों गुणों की वजह से वे अक्सर गंभीर और अधिकारपूर्ण किरदारों के लिए पसंद किए जाते थे।
निर्देशन और प्रशिक्षण
सिर्फ एक अभिनेता के रूप में नहीं, बल्कि पंकज धीर एक कुशल निर्देशक और गुरु के रूप में भी प्रसिद्ध हैं। उन्होंने मुंबई में “Abbhinnay Acting Academy” की स्थापना की, जहाँ वे युवा कलाकारों को अभिनय और स्क्रीन प्रेजेंस की बारीकियाँ सिखाते हैं। उनके कई छात्र आज टीवी और फिल्मों में सफल अभिनेता बन चुके हैं।
उन्होंने कुछ छोटे प्रोजेक्ट्स का निर्देशन भी किया है और भविष्य में फिल्मों के निर्देशन की भी योजना बनाई थी। उनका मानना है कि अभिनय एक लगातार सीखने की प्रक्रिया है — कलाकार कभी “पूर्ण” नहीं होता, बल्कि हर किरदार से कुछ नया सीखता है।
पारिवारिक जीवन
Pankaj धीर का विवाह नीलम धीर से हुआ है, और उनके दो बच्चे हैं — निकितिन धीर और शिवानी धीर। निकितिन धीर भी एक प्रसिद्ध अभिनेता हैं, जिन्हें दर्शकों ने “चेन्नई एक्सप्रेस”, “दबंग 2”, “शेरशाह” और “खतरों के खिलाड़ी” जैसे शोज़ में देखा है। इस तरह, पंकज धीर का परिवार भारतीय मनोरंजन जगत में अपनी प्रतिभा से नई परंपरा को आगे बढ़ा रहा है।
समाज सेवा और विनम्र व्यक्तित्व
अभिनय के अलावा, पंकज धीर अपने समाजसेवी कार्यों के लिए भी जाने जाते हैं। वे अनेक चैरिटी इवेंट्स और एनजीओ से जुड़कर शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में सहयोग देते हैं। उनकी सरलता और विनम्रता उनके व्यक्तित्व को और भी सम्मानजनक बनाती है।
वे अक्सर कहते हैं कि सफलता का असली अर्थ प्रसिद्धि नहीं, बल्कि दूसरों के जीवन में सकारात्मक प्रभाव छोड़ना है। यही सोच उन्हें उनके प्रशंसकों के बीच एक आदर्श कलाकार बनाती है।
आज के दौर में पंकज धीर
आज जब मनोरंजन की दुनिया डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म्स की ओर मुड़ चुकी है, पंकज धीर भी समय के साथ कदम से कदम मिला रहे हैं। वे वेब सीरीज़ और ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म्स पर भी नजर आ चुके हैं। हालांकि, वे चाहे किसी भी माध्यम में दिखाई दें — उनका अभिनय हमेशा गंभीरता, गहराई और सच्चाई से भरा होता है।
वे कई बार सार्वजनिक मंचों पर युवाओं को प्रेरित करते हुए कहते हैं कि इस उद्योग में टिके रहना केवल प्रतिभा से नहीं, बल्कि अनुशासन और निरंतर समर्पण से संभव है।
निष्कर्ष
Pankaj Dheer भारतीय अभिनय जगत का वह नाम हैं, जिनकी छवि आज भी दर्शकों के मन में “कर्ण” के रूप में गूंजती है। उन्होंने अपने जीवन में अभिनय को सिर्फ़ करियर नहीं, बल्कि एक साधना बनाया है। उनकी सफलता यह साबित करती है कि सुदृढ़ इच्छाशक्ति, मेहनत, और अपनी कला के प्रति निष्ठा, किसी भी कलाकार को अमर बना सकती है।
उनकी यात्रा प्रेरणादायक है — एक ऐसे कलाकार की कहानी जो वक़्त के बदलते रंगों में भी अपनी चमक बरकरार रखे हुए है। पंकज धीर ने अभिनय की दुनिया में अपनी जिस छाप छोड़ी है, वह आने वाले कई दशकों तक नई पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी।