करवा चौथ 2025: महत्व, तिथि, पूजा विधि, कथा और आधुनिक परंपराएँ…

करवा-चौथ-2025

करवा चौथ 2025 :

भारत त्योहारों की भूमि है, जहाँ हर त्यौहार अपने साथ संस्कृति, परंपरा और आस्था की झलक लाता है। उन्हीं पावन पर्वों में से एक है करवा चौथ। यह व्रत मुख्यतः सुहागिन स्त्रियाँ अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए रखती हैं। यह पर्व विशेष रूप से उत्तर भारत, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है।

करवा चौथ का व्रत न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि सामाजिक और पारिवारिक दृष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण है। इस दिन विवाहित महिलाएँ निर्जला उपवास रखकर चंद्रमा को अर्घ्य अर्पित करती हैं और अपने पति की लंबी उम्र की प्रार्थना करती हैं।

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करवा चौथ 2025

करवा चौथ 2025 की तिथि और समय

करवा चौथ 2025 की तिथि इस प्रकार है:

कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत- 09 अक्टूबर को देर रात 10 बजकर 54 मिनट पर

कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि का समापन- 10 अक्टूबर को शाम 07 बजकर 38 मिनट पर

इस दिन पूजा-अर्चना करने का शुभ मुहूर्त- 05 बजकर 16 मिनट से लेकर शाम 06 बजकर 29 मिनट तक

चंद्रोदय का समय- शाम को 07 बजकर 42 मिनट पर होगा।

👉 ध्यान रहे कि पूजा का समय स्थानानुसार थोड़ा आगे-पीछे हो सकता है।

करवा चौथ व्रत का महत्व

  1. पति की लंबी आयु: यह व्रत पति की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए रखा जाता है।

  2. वैवाहिक जीवन में सुख-शांति: ऐसा माना जाता है कि करवा चौथ से दांपत्य जीवन में प्रेम और सामंजस्य बढ़ता है।

  3. धार्मिक आस्था: करवा चौथ व्रत से भगवान शिव-पार्वती और गणेश की कृपा प्राप्त होती है।

  4. सामाजिक महत्व: यह त्योहार महिलाओं के बीच भाईचारा और पारिवारिक एकता को मजबूत करता है।

Karva Chauth 2025 | करवा चौथ व्रत 2025: चंद्रमा पूजन से पहले जानें संपूर्ण विधि और कथा

करवा चौथ की पूजा सामग्री (Pooja Samagri)

करवा चौथ की पूजा में उपयोग होने वाली सामग्री इस प्रकार है:

  • करवा (मिट्टी या धातु का पात्र)

  • मिट्टी का दिया (दीपक)

  • रोली, कुमकुम, चावल

  • मिठाई और फल

  • गेहूं और चावल का आटा

  • छलनी (सूप या चांद देखने की छलनी)

  • पानी का लोटा या करवा

  • श्रीगणेश और शिव-पार्वती की प्रतिमा

  • श्रृंगार सामग्री (चूड़ी, बिंदी, सिंदूर आदि)

करवा चौथ की पूजा विधि

करवा चौथ की पूजा और व्रत विधि बहुत ही विशेष होती है। आइए जानते हैं इसे चरणबद्ध तरीके से:

  • सुबह सरगी (Sargi):
    करवा चौथ की शुरुआत सुबह सूर्योदय से पहले सास द्वारा दी गई सरगी खाने से होती है। इसमें फल, मिठाई और पकवान शामिल होते हैं।

  • दिनभर उपवास:
    महिलाएँ दिनभर निर्जल उपवास रखती हैं। यानी न तो भोजन करती हैं और न ही पानी पीती हैं।

  • शाम की पूजा:
    शाम को महिलाएँ सजधजकर करवा चौथ की पूजा करती हैं। इस दौरान कथा सुनाई जाती है और महिलाएँ गोल घेरे में बैठकर पूजा करती हैं।

  • करवा चौथ की कथा सुनना:
    कथा सुनने के बाद महिलाएँ करवा और मिट्टी के दीपक का पूजन करती हैं।

  • चंद्रोदय के समय पूजा:
    चाँद निकलने पर महिलाएँ छलनी से चंद्रमा को देखती हैं और फिर उसी छलनी से अपने पति का चेहरा देखकर उन्हें जल अर्पित करती हैं।

  • व्रत खोलना:
    पति अपनी पत्नी को पानी और मिठाई खिलाकर व्रत खुलवाते हैं।

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करवा चौथ व्रत की कथा(करवा चौथ 2025):

करवा चौथ की कई पौराणिक कथाएँ प्रचलित हैं, जिनमें से सबसे प्रमुख कथा इस प्रकार है:

एक साहूकार की सात बेटियाँ और एक बेटा था। करवा चौथ के दिन सभी बहनें व्रत रखती हैं, परंतु सबसे छोटी बहन भूख-प्यास सहन नहीं कर पाती। उसका भाई छल से पीपल के पेड़ पर दीपक जलाकर कहता है कि “देखो, चाँद निकल आया है।” बहन बिना चंद्रदर्शन किए ही व्रत खोल देती है। कुछ समय बाद उसके पति की मृत्यु हो जाती है।

वह अपने पति को पुनर्जीवित करने के लिए कई वर्षों तक कठिन तपस्या करती है और करवा चौथ का व्रत करती रहती है। अंततः उसकी भक्ति और आस्था से यमराज प्रसन्न हो जाते हैं और उसके पति को जीवनदान मिल जाता है।

इस कथा से यह संदेश मिलता है कि करवा चौथ का व्रत निष्ठा और सच्ची श्रद्धा के साथ करने से पति की आयु बढ़ती है।

करवा चौथ का इतिहास और मान्यता

करवा चौथ का संबंध पौराणिक काल से है। यह व्रत कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है।

  • “करवा” का अर्थ है मिट्टी का बर्तन और “चौथ” का अर्थ है चौथी तिथि।

  • यह व्रत देवी पार्वती और भगवान शिव की पूजा का प्रतीक है।

  • ऐतिहासिक मान्यताओं के अनुसार, यह परंपरा मुग़ल काल और राजपूतानी रानियों से भी जुड़ी हुई है, जब युद्ध में गए पतियों की लंबी आयु की कामना के लिए महिलाएँ यह व्रत करती थीं।

आधुनिक युग में करवा चौथ

समय के साथ करवा चौथ की परंपरा में भी बदलाव आए हैं।

  1. पति भी रखते हैं व्रत: आजकल कई पति भी अपनी पत्नियों के साथ करवा चौथ का व्रत रखते हैं।

  2. ऑनलाइन पूजा सामग्री: अब पूजा सामग्री ऑनलाइन भी उपलब्ध हो जाती है।

  3. सेलिब्रिटी प्रभाव: बॉलीवुड और टीवी शोज़ में करवा चौथ का जश्न दिखाए जाने से यह और भी लोकप्रिय हुआ है।

  4. उपहार संस्कृति: पति अपनी पत्नी को इस दिन विशेष उपहार जैसे गहने, कपड़े या अन्य वस्तुएँ भेंट करते हैं।

करवा चौथ से जुड़े सवाल (FAQs)

1. करवा चौथ का व्रत कौन रख सकता है?
मुख्य रूप से विवाहित स्त्रियाँ यह व्रत रखती हैं, लेकिन कई बार अविवाहित लड़कियाँ भी भविष्य में अच्छे पति की कामना से इसे करती हैं।

2. क्या करवा चौथ पर पानी पी सकते हैं?
पारंपरिक रूप से यह व्रत निर्जला होता है, परंतु स्वास्थ्य कारणों से महिलाएँ केवल जल या फल ग्रहण कर सकती हैं।

3. करवा चौथ की पूजा में किस देवता की आराधना की जाती है?
इस दिन शिव, पार्वती, गणेश और चंद्रमा की पूजा की जाती है।

निष्कर्ष(करवा चौथ 2025):

करवा चौथ केवल व्रत या उपवास का नाम नहीं है, बल्कि यह प्यार, विश्वास और त्याग का प्रतीक है। यह व्रत पति-पत्नी के रिश्ते को और अधिक मजबूत करता है। बदलते समय में भले ही इसकी परंपराओं में आधुनिकता जुड़ गई हो, लेकिन इसके पीछे छिपी भावनाएँ आज भी उतनी ही पवित्र और शक्तिशाली हैं।

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